The Elephant in the Brain by Kevin Simler & Robin Hanson | Book Summary in Hindi

The following video explains about the hidden secrets about human mind, and it is summary of the book, “The Elephant in the Brain by Kevin Simler & Robin Hanson”. Please watch till the end and do let us know your comments on the following video about the book summary.

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00:00:00 क्या आपने कभी सोचा है कि हम जो कुछ भी करते हैं वह वास्तव में क्यों करते हैं हम दूसरों की मदद क्यों करते हैं हम शिक्षा क्यों प्राप्त करते हैं हम राजनीति में क्यों रुचि लेते हैं क्या यह सब सच में वही कारण है जो हम खुद से और दूसरों से कहते हैं या इसके पीछे कुछ और गहरी सच्चाई छिपी है द एलिफेंट इन द ब्रेन किताब इसी विषय पर रोशनी डालती है हमारे छिपे हुए उद्देश्यों हिडन मोटिव्स के बारे में यह किताब यह समझाने की कोशिश करती है कि हमारे कई कार्यों के पीछे जो कारण हम मानते हैं वे असली कारण नहीं होते असली कारण कुछ और होते हैं जिन्हें हमारा दिमाग

00:00:43 खुद हमसे भी छुपा लेता है हम अपने बारे में सोचते हैं कि हम बहुत ईमानदार अच्छे और नैतिक लोग हैं लेकिन वास्तव में हमारा दिमाग हमें ऐसी कहानियां ने सुनाता है जो हमें अच्छा महसूस कराए ना कि सच्चाई बताने के लिए हम अक्सर अपने कार्यों को अच्छे कारणों से जोड़कर देखते हैं लेकिन उनके पीछे छिपे हुए असली उद्देश्य बहुत अलग होते हैं अगर हम इन छिपी हुई सच्चा को समझ ले तो यह हमारी जिंदगी में एक बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है यह हमें आत्म जागरूक सेल्फ अवेयर बना सकता है जिससे हम खुद को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे जब हम खुद को सच में

00:01:26 जानेंगे तो हम जिंदगी के हर क्षेत्र में अधिक समझदार और ईमानदारी से फैसले ले पाएंगे यह समझना हमारे रिश्तों को भी सुधार सकता है अक्सर हम सोचते हैं कि हम प्यार दोस्ती और सहयोग के नाम पर जो कुछ करते हैं वह पूरी तरह निस्वार्थ है लेकिन वास्तव में इसके पीछे भी हमारे दिमाग की चालाकी होती है अगर हम इसे पहचान ले तो हम अपने रिश्तों को और भी गहरा और वास्तविक बना सकते हैं यह किताब हमें यह भी दिखाती है कि हमारी सफलता पर भी यह छिपी हुई इच्छाएं गहरा असर डालती है कई बार हम सोचते हैं कि हम मेहनत इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हम सच में अपने लक्ष्य को पाना

00:02:10 चाहते हैं लेकिन अगर हम गहराई से देखें तो हम पाएंगे कि हमारा असली उद्देश्य समाज में अच्छा दिखना दूसरों को प्रभावित करना या अपने आत्म सम्मान सेल्फ एस्टीम को बनाए रखना भी हो सकता है अगर हम इस सच्चाई को समझ ले तो हम अपने लक्ष्यों को और सा तरीके से देख पाएंगे और असली खुशी और सफलता पा सकते हैं इस किताब का उद्देश्य आपको इन छिपे हुए उद्देश्यों के बारे में जागरूक करना है ताकि आप अपने जीवन को और अधिक समझदारी आत्म जागरूकता और ईमानदारी से जी सके यह किताब आपको उन सच्चाई हों से अवगत कराएगी जिन्हें जानकर आप अपने

00:02:52 कार्यों के पीछे के असली कारणों को पहचान पाएंगे और जिंदगी को एक नए नजरिए से देखेंगे जब हम खुद को सच में जान ले ते हैं तो हम बेहतर फैसले लेते हैं बेहतर रिश्ते बनाते हैं और सच में संतुष्टि महसूस करते हैं यह किताब ना सिर्फ आपको इन छिपी हुई सच्चाई हों से अवगत कराएगी बल्कि यह भी बताएगी कि आप इस ज्ञान को अपनी जिंदगी में कैसे लागू कर सकते हैं ताकि आप खुद को और अधिक ईमानदार मजबूत और सफल इंसान बना सकें तो आइए इस रोमांचक और जागरूकता से भरपूर यात्रा की शुरुआत करें चैप्टर वन व्हाई वी लाई टू आवर सेल्स क्या आपने कभी

00:03:34 ऐसा महसूस किया है कि आप कुछ कर रहे हैं लेकिन असली कारण कुछ और ही है जैसे क्या आप सच में दूसरों की मदद करना चाहते हैं या आपको अच्छा दिखना है क्या आप सच में पढ़ाई करना चाहते हैं या सिर्फ परीक्षा में अच्छे नंबर लाने के लिए पढ़ रहे हैं यह सवाल सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन हकीकत यही है कि हमारा दिमाग हमें खुद से भी सच्चाई छिपाने में माहिर होता है हम सोचते हैं कि हमारे सभी फैसले पूरी तरह से ईमानदारी और अच्छे इरादों पर आधारित हैं लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है हमारा मस्तिष्क हमें ऐसी कहानियां सुनाता है जो

00:04:15 हमें अच्छा महसूस कराए और हमें दूसरों की नजरों में अच्छा बनाए रखें यह एक तरह की आत्म धोखा सेल्फ डिसेप्शन है और यह हमारी जिंदगी के हर क्षेत्र में छुपी हुई होती है मस्तिष्क हमारे असली उद्देश्यों को क्यों छुपाता है हमारा दिमाग एक बहुत ही शक्तिशाली उपकरण है लेकिन इसकी सबसे दिलचस्प विशेषता यह है कि यह हमें खुद से भी सच्चाई छुपाने में सक्षम है इसका कारण यह है कि अगर हम सच को पूरी तरह से देख लें तो हमारी सामाजिक छवि सोशल इमेज और आत्म सम्मान सेल्फ एस्टीम पर असर पड़ सकता है इसलिए हमारा दिमाग हमारी असली मंशा हों

00:04:57 को छुपा देता है और हमें यकीन दिलाता है कि हम सही कारणों से सही काम कर रहे हैं उदाहरण के लिए जब हम किसी गरीब को पैसे देते हैं तो हमें लगता है कि हम दयालु और परोपकारी अल्ट्रस्ट हैं लेकिन अगर हम गहराई से सोचे तो हो सकता है कि हम यह काम इसलिए कर रहे हो ताकि दूसरों को लगे कि हम अच्छे इंसान हैं या हमें खुद को अच्छा महसूस कराना है इसी तरह जब हम किसी बहस में जीतते हैं तो हमें लगता है कि हम सच का समर्थन कर रहे हैं लेकिन हकीकत में हम बस अपनी श्रेष्ठता साबित करना चाहते हैं यह सब अनजाने में होता है और यही इस किताब

00:05:37 का मुख्य विषय है हमारी छिपी हुई इच्छाएं और उद्देश्य हमारा दिमाग ऐसा क्यों करता है इसका जवाब हमें विकासवाद एवोल्यूशन में मिलता है हजारों साल पहले जब इंसान जंगलों और गुफाओं में रहता था तब उसे दो चीजों की सबसे ज्यादा जरूरत थी जीवित रहना और सामाजिक समूह में अपनी जगह बना रखना अगर कोई इंसान समाज में अलग थलग पड़ जाता तो उसके जीवित रहने की संभावना कम हो जाती इसीलिए हमारे दिमाग ने इस तरह से विकसित होना शुरू किया कि हम खुद को दूसरों के सामने बेहतर दिखा सके अगर हम अपने असली इरादों को पूरी तरह समझ लेते तो हमें शायद

00:06:19 शर्मिंदगी महसूस होती और हमारा आत्म सम्मान कम हो जाता इसी कारण हमारा दिमाग हमें झूठी कहानियां सुनाता है और हमें खुद पर विश्वास दिलाता कि हम जो कुछ भी कर रहे हैं वह सबसे अच्छे इरादों से कर रहे हैं इससे हमें समाज में आसानी से जीने और आगे बढ़ने में मदद मिलती है आइए कुछ वास्तविक उदाहरणों से समझते हैं कि यह आत्म धोखा हमारी जिंदगी में कैसे काम करता है हम सोचते हैं कि हम पढ़ाई इसलिए कर रहे हैं ताकि हम ज्ञान प्राप्त कर सके लेकिन असल में हम डिग्री सम्मान और एक अच्छी नौकरी के लिए पढ़ाई करते हैं अगर पढ़ाई केवल ज्ञान के लिए

00:07:01 होती तो हम परीक्षा पास करने के बाद सब कुछ भूल क्यों जाते हम मानते हैं कि हम राजनीति इसलिए समझते हैं क्योंकि हमें समाज में बदलाव लाना है लेकिन हकीकत में हम अपनी पसंदीदा पार्टी या विचारधारा को सही साबित करने की कोशिश कर रहे होते हैं हमें सच में न्याय और सच्चाई से उतना फर्क नहीं पड़ता जितना कि अपने समूह इन ग्रुप की जीत से होता है जब हम सोशल मीडिया पर कोई प्रेरणा प्रदायक पोस्ट डालते हैं तो हमें लगता है कि हम दूसरों को प्रेरित कर रहे हैं लेकिन अगर हम ईमानदारी से देखें तो इसका एक कारण यह भी होता है कि हमें

00:07:40 लाइक्स और तारीफें चाहिए होती हैं जब हम किसी की मदद करते हैं तो हमें लगता है कि हम पूरी तरह निस्वार्थ भाव से कर रहे हैं लेकिन कई बार इसका असली कारण यह होता है कि हमें अच्छा महसूस हो या हम दूसरों के सामने अच्छा दिखना चाहते हैं यही कारण है कि लोग तब ज्यादा दान करते हैं जब लोग देख रहे होते हैं लेकिन अकेले में कम करते हैं अब सवाल यह उठता है कि अगर हमारा दिमाग हमें खुद से भी धोखा देता है तो हम इससे कैसे बच सकते हैं सबसे पहला कदम आत्म जागरूकता सेल्फ अवेयरनेस है जब हम यह समझने लगते हैं कि हमारे कार्यों के पीछे के असली उद्देश्य

00:08:21 क्या है तो हम ज्यादा ईमानदारी से फैसले ले सकते हैं इसका मतलब यह नहीं कि हमें खुद को बुरा महसूस कराना चाहिए बल्कि इसका मतलब यह है कि हमें अपनी सच्चाई को समझकर और अधिक प्रभावी तरीके से जीना चाहिए जब हम अपने छिपे हुए उद्देश्यों को पहचान लेते हैं तो हम अपने जीवन के लक्ष्यों को स्पष्ट कर सकते हैं अपने रिश्तों को ज्यादा गहरा और ईमानदार बना सकते हैं सामाजिक मान्यता सोशल वैलिडेशन के चक्र से बाहर निकल सकते हैं सच में खुशी और संतुष्टि महसूस कर सकते हैं हमारा दिमाग हमारे असली उद्देश्यों को छुपाने में माहिर होता है और यह हमें एक झूठी कहानी

00:09:05 सुनाता है ताकि हम खुद को अच्छा महसूस करा सके यह आत्म धोखा हमारी सामाजिक स्थिति को बचाने और हमें अधिक प्रभावी बनाने में मदद करता है लेकिन अगर हम इसे समझ ले तो हम अपनी जिंदगी को और बेहतर बना सकते हैं जब हम अपनी सच्चाई को पहचानते हैं तो हम ज्यादा ईमानदार स्वतंत्र और खुशहाल जीवन जी सकते हैं अगली बार जब आप कोई निर्णय ले तो खुद से यह सवाल पूछे क्या यह सच में मेरा इरादा है या इसके पीछे कोई छिपा हुआ कारण है जब आप इसका उत्तर ढूंढने लगेंगे तो आपकी जिंदगी पहले से कहीं ज्यादा स्पष्ट और सच्ची हो जाएगी चैप्टर टू द

00:09:47 सोशल गेम सर्वाइवल एंड स्टेटस हम सभी एक सामाजिक दुनिया में जीते हैं जहां हर दिन हमें दूसरों के साथ बातचीत करनी होती है चाहे हम किसी ऑफिस में काम कर रहे हो स्कूल में पढ़ रहे हो दोस्तों के साथ समय बिता रहे हो या सोशल मीडिया पर एक्टिव हो हर जगह एक अनदेखा खेल सोशल गेम चल रहा होता है यह खेल सिर्फ बातचीत या संबंध बनाने तक सीमित नहीं है बल्कि यह एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है जिसमें हम खुद को समाज में स्थापित करने अपनी पहचान बनाने और दूसरों के साथ अपने संबंधों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे होते हैं हम सोचते हैं कि हम जो कुछ

00:10:30 भी कर रहे हैं वह पूरी तरह से ईमानदारी और खुले दिल से कर रहे हैं लेकिन अगर हम गहराई से देखें तो हमारे हर कार्य के पीछे एक छिपी हुई मंशा होती है अस्तित्व सर्वाइवल शक्ति पावर और प्रतिष्ठा स्टेटस की तलाश सामाजिक व्यवस्था में छिपे हुए उद्देश्य कैसे काम करते हैं हमारा मस्तिष्क इस तरह से विकसित हुआ है कि हम स्वाभाविक रूप से सामाजिक सीढ़ियों सोशल हायरा कीज को पहचान लेते हैं और उन पर चढ़ने की कोशिश करते हैं यह प्रक्रिया पूरी तरह से अवचेतन सबकॉन्शियस स्तर पर होती है यानी हमें यह एहसास भी नहीं होता कि हम यह कर रहे हैं हमारा व्यवहार हमारी

00:11:14 पसंद नापसंद हमारे बोलने का तरीका सब कुछ इस छिपे हुए उद्देश्य से प्रभावित होता है कि हम समाज में अपनी जगह कैसे बना सकते हैं और खुद को अधिक प्रभावशाली कैसे दिखा सकते हैं जब हम किसी पार्टी या ऑफिस मीटिंग में होते हैं तो हम स्वाभाविक रूप से यह चाहते हैं कि लोग हमें पसंद करें और हमारी बातों से प्रभावित हो हम सोचते हैं कि हम सिर्फ बातचीत कर रहे हैं लेकिन वास्तव में हम अपनी छवि इमेज को सुधारने और अपनी सामाजिक स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहे होते हैं जब हम अपनी कोई फोटो विचार या उपलब्धि सोशल मीडिया पर डालते हैं तो हमें

00:11:55 लगता है कि हम सिर्फ अपनी जिंदगी साझा कर रहे हैं लेकिन गहराई से देखें तो इसके पीछे एक बड़ा कारण यह होता है कि हम लोगों से प्रशंसा लाइक्स कमेंट्स शेयर्स पाना चाहते हैं ताकि हमें लगे कि हम महत्त्वपूर्ण हैं चाहे वह ऑफिस में प्रमोशन पाने की दौड़ हो दोस्तों के बीच सबसे मजेदार व्यक्ति बनने की चाह हो या परिवार में सबसे ज्यादा सम्मान पाने की कोशिश हम हर समय अनजाने में इस शक्ति संघर्ष में लगे रहते हैं जब हम महंगे कपड़े पहनते हैं अच्छी गाड़ियों में घूमते हैं या ऊंची सैलरी वाली नौकरी पाने की कोशिश करते हैं तो हम खुद को यह समझाते

00:12:36 हैं कि हम सिर्फ अपनी पसंद के हिसाब से जी रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि हम समाज में अपनी स्थिति को ऊंचा दिखाने के लिए ऐसा कर रहे होते हैं प्रतिष्ठा का यह खेल हमारे हर छोटे बड़े फैसले पर असर डालता है अगर हम विकासवादी इवोल्यूशनरी दृष्टिकोण से देखें तो यह समझना आसान हो जाता है कि लोग शक्ति और मान्यता की ओर क्यों आकर्षित होते हैं हजारों साल पहले जब इंसान छोटे-छोटे समूहों में रहता था तो उसका अस्तित्व पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता था कि वह अपने समूह में कितनी अहमियत रखता है जो लोग समूह में प्रभावशाली होते थे

00:13:18 उन्हें ज्यादा सुरक्षा भोजन और साथी मिलते थे इसी कारण हमारा दिमाग इस तरह से विकसित हुआ कि हम हमेशा शक्ति और प्रतिष्ठा की तलाश में रहते हैं भले ही हमें इसका एहसास ना हो अगर आप गौर करें तो पाएंगे कि समाज के लगभग हर क्षेत्र में यही खेल चल रहा है कारोबार और कॉरपोरेट जगत कौन ज्यादा प्रभावशाली है किसकी पहुंच ज्यादा है किसे प्रमोशन मिलेगा राजनीति कौन ज्यादा लोगों को प्रभावित कर सकता है किसकी बात पर लोग ज्यादा विश्वास करेंगे मनोरंजन और शोहरत की दुनिया कौन सबसे ज्यादा चर्चित है किसके पास सबसे ज्यादा प्रशंसक हैं रिश्ते और दोस्ती कौन

00:14:01 ग्रुप का लीडर है किसकी बातों को सबसे ज्यादा अहमियत दी जाती है अब सवाल यह उठता है कि अगर यह सब हमारे दिमाग में प्राकृतिक रूप से हो रहा है तो क्या हम इस सामाजिक खेल से बच सकते हैं इसका उत्तर है हमें इस खेल से पूरी तरह बचने की जरूरत नहीं है बल्कि इसे समझकर इसे सही दिशा में इस्तेमाल करना चाहिए जब आप यह समझ जाते हैं कि आपके निर्णयों के पीछे छिपे उद्देश्य क्या हैं तो आप अधिक ईमानदारी और समझदारी से अपनी पसंद चुन सकते हैं खुद से पूछें क्या मैं सच में यह इसलिए कर रहा हूं क्योंकि मुझे इसमें खुशी मिलती है या सिर्फ इसलिए कि

00:14:43 लोग मुझे पसंद करें जब हमें यह समझ आ जाता है कि हर कोई इस सामाजिक खेल में अनजाने में शामिल है तो हम दूसरों के व्यवहार को बहतर तरीके से समझ सकते हैं और उनके प्रति ज्यादा सहानुभूति रख सकते हैं स्वाभाविक रूप से प्रभावशाली बने ना कि मजबूरी में प्रतिष्ठा और शक्ति का पीछा करने के बज अपनी क्षमताओं को निखार और दूसरों की सच्ची मदद करें असली प्रभाव वे लोग छोड़ते हैं जो सच्चे मददगार और ईमानदार होते हैं जब हम अपने रिश्तों में दिखावे और छिपे उद्देश्यों को कम कर देते हैं तो हमारे रिश्ते अधिक मजबूत और वास्तविक बन जाते

00:15:25 हैं अगर हम लोगों से सिर्फ स्वार्थ के कारण नहीं बल्कि सच्चे भावनात्मक संबंध के लिए जुड़ते हैं तो हमें ज्यादा संतोष और खुशी मिलती है हमारा मस्तिष्क इस तरह से विकसित हुआ है कि हम हमेशा समाज में अपनी स्थिति सुधारने और प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करते हैं शक्ति प्रतिष्ठा और मान्यता पाने की यह दौड़ पूरी तरह स्वाभाविक है लेकिन अगर हम इसे समझ ले तो हम इसे सही तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं जब हम अपनी छिपी हुई मंशा हों को पहचानते तो हम अधिक आत्म जागरूक बन जाते हैं और अपने रिश्तों में सच्चाई और गहराई ला सकते हैं तो अगली बार जब आप कोई निर्णय ले तो

00:16:09 खुद से यह सवाल पूछे क्या यह सच में मेरे लिए सही है या मैं सिर्फ समाज में अपनी स्थिति को सुधारने की कोशिश कर रहा हूं जब आप इस सवाल का उत्तर खोजने लगेंगे तो आप अपनी जिंदगी को अधिक सच्चाई आत्मसम्मान और खुशी के साथ जी पाएंगे चैप्टर ी द ट्रुथ अबाउट एजुकेशन हम सभी बचपन से ही यह सुनते आए हैं कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान प्राप्त करना और एक उज्जवल भविष्य बनाना है हमें स्कूल भेजा जाता है परीक्षा देने के लिए कहा जाता है डिग्री हासिल करने की दौड़ में लगाया जाता है और यह विश्वास दिलाया जाता है कि जितना अधिक हम सीखेंगे

00:16:52 उतना ही सफल होंगे लेकिन क्या यह पूरी सच्चाई है क्या शिक्षा का असली उद्देश्य सिर्फ ज्ञान प्राप्त करना है या इसके पीछे कोई छुपा हुआ उद्देश्य भी है अगर हम गहराई से सोचे तो पाएंगे कि शिक्षा केवल सीखने तक सीमित नहीं है बल्कि यह समाज में अपनी बुद्धिमत्ता इंटेलिजेंस और अनुशासन कन्फॉर्मिस ना केवल हमें विषयों का ज्ञान देते हैं बल्कि यह भी दिखाते हैं कि हम कितने बुद्धिमान मेहनती और अनुशासित हैं यही कारण है कि शिक्षा प्रणाली में अक्सर डिग्री को ज्ञान से अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्या शिक्षा वास्तव में

00:17:35 सीखने के लिए होती है आइए इसे एक सरल उदाहरण से समझते हैं मान लीजिए कि किसी व्यक्ति ने 4 साल तक इंजीनियरिंग की पढ़ाई की लेकिन नौकरी करने के बाद उसे उस ज्ञान का 80 प्र हिस्सा कभी उपयोग ही नहीं करना पड़ा फिर भी उसे एक अच्छी नौकरी मिल गई क्योंकि उसने एक कठिन डिग्री हासिल कर ली थी इसका मतलब यह हुआ कि शिक्षा सिर्फ ज्ञान प्राप्त करने के लिए नहीं थी बल्कि यह साबित करने के लिए थी कि वह व्यक्ति कठिन चुनौतियों को पार कर सकता है लंबे समय तक अनुशासन बनाए रख सकता है और समाज की अपेक्षाओं के अनुरूप कार्य कर सकता है

00:18:18 हमारी शिक्षा प्रणाली इस पर आधारित होती है कि हम अपने ज्ञान से अधिक अपनी क्षमता दिखाने पर ध्यान दें जब हम किसी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से ्र प्राप्त करते हैं तो यह हमारे वास्तविक ज्ञान की तुलना में अधिक मूल्यवान माना जाता है यह दिखाता है कि हम मेहनती हैं सामाजिक नियमों का पालन करते हैं और प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ सकते हैं शिक्षा का एक बड़ा हिस्सा संकेत देने सिग्न ंग पर आधारित होता है इसका मतलब यह है कि हमारी डिग्री ग्रेड और सर्टिफिकेट यह साबित करने के लिए होते हैं कि हम कितने योग्य और बुद्धिमान

00:18:57 हैं भले ही हमें विषय की गहरी समझ हो या ना हो डिग्री का महत्व बनाम असली ज्ञान अगर केवल ज्ञान महत्त्वपूर्ण होता तो लोग ऑनलाइन मुफ्त कोर्स से ही सीखकर अच्छी नौकरियां पा सकते थे लेकिन हकीकत यह है कि बिना डिग्री के लोग योग्य होने के बावजूद भी बड़े अवसरों से वंचित रह जाते हैं इसका कारण यह है कि एंप्लॉयर सिर्फ यह नहीं देखना चाहते कि आप जानते क्या हैं बल्कि वे यह देखना चाहते हैं कि क्या आप 4 साल तक एक कठिन प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं ग्रेड और मार्क्स का खेल हम में से कई लोग यह महसूस कर चुके होंगे कि परीक्षा में

00:19:39 अच्छे नंबर लाने के लिए अक्सर हम विषय को रटते हैं लेकिन असली समझ कभी नहीं बनती इसका कारण यह है कि हमारा शिक्षा तंत्र हमें असली ज्ञान प्राप्त करने की तुलना में एक अच्छा विद्यार्थी दिखने पर ज्यादा जोर देता है स्कूल और कॉलेज का सामाजिक महत्व शिक्षा केवल किताबों से सीखने की प्रक्रिया नहीं है बल्कि यह हमें समाज में ढालने और नियमों के अनुसार चलना सिखाने के लिए भी होती है एक अच्छी नौकरी पाने के लिए डिग्री जरूरी होती है लेकिन हम में से कितने लोग सच में कॉलेज में सीखी हुई चीजों को रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल

00:20:18 करते हैं अब सवाल यह उठता है कि अगर शिक्षा में यह छिपे हुए उद्देश्य हैं तो हम इसे अपने वास्तविक विकास के लिए कैसे उपयोग कर सकते हैं सीख की असली वजह समझे डिग्री प्राप्त करना जरूरी हो सकता है लेकिन असली सफलता उनके पास आती है जो सच में सीखने में रुचि रखते हैं अगर आप अपने क्षेत्र में सच में कुशल स्किल्ड बनना चाहते हैं तो आपको केवल किताबों तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि व्यावहारिक ज्ञान प्रैक्टिकल नॉलेज भी लेना चाहिए डिग्री से ज्यादा कौशल स्किल्स पर ध्यान दें दुनिया तेजी से बदल रही है और अब सिर्फ डिग्री से

00:20:59 नौकरी मिलना आसान नहीं रहा इसीलिए यह जरूरी है कि आप असली कौशल सॉफ्ट स्किल्स पर ध्यान दें स्किल्स और टेक्निकल स्किल्स पर ध्यान दें और खुद को लगातार अपडेट करते रहे सवाल पूछने और स्वतंत्र सोचने की आदत डालें हमारी शिक्षा प्रणाली हमें रटे रटाई उत्तर देने के लिए तैयार करती है लेकिन असली सफलता उन्हें मिलती है जो खुद से सवाल पूछते हैं नई चीजें खोजते हैं और अलग तरीके कैसे सोचने की हिम्मत रखते हैं शिक्षा को नौकरी पाने का साधन नहीं बल्कि आत्म विकास सेल्फ ग्रोथ का जरिया बनाएं अगर हम शिक्षा को सिर्फ एक नौकरी पाने के

00:21:40 लिए देखेंगे तो हम उसमें से असली खुशी और ज्ञान नहीं निकाल पाएंगे लेकिन अगर हम इसे अपने जीवन को बेहतर बनाने और अपनी सोच को विकसित करने के लिए अपनाएंगे तो यह हमें हर क्षेत्र में आगे ले जाएगी जीवन भर सीखने की आदत डालें सिर्फ स्कूल और कॉलेज तक ही सीमित ना रहे नई चीजें सीखने किताबें पढ़ने कौशल विकसित करने और जीवन भर अपने ज्ञान को बढ़ाने की आदत डालें शिक्षा सिर्फ ज्ञान प्राप्त करने के लिए नहीं बल्कि समाज में अपनी बुद्धिमत्ता और अनुशासन को दिखाने का एक तरीका भी होती है स्कूल और कॉलेज हमें केवल विषय नहीं सिखाते बल्कि यह भी साबित

00:22:22 करते हैं कि हम कितने मेहनती और अनुशासित हैं लेकिन अगर हम इसे समझदारी से अपनाएं तो हम शिक्षा को केवल डिग्री पाने का माध्यम नहीं बल्कि अपने असली विकास सेल्फ ग्रोथ का जरिया बना सकते हैं तो अगली बार जब आप कुछ नया सीखें तो खुद से यह सवाल पूछें क्या मैं इसे सिर्फ डिग्री और ग्रेड के लिए कर रहा हूं या मैं इसे सच में समझना चाहता हूं जब आप सच में सीखने लगेंगे तो आप ना केवल शिक्षा में बल्कि जीवन में भी सच्ची सफलता प्राप्त करेंगे चैप्टर फोर द रियलिटी ऑफ चैरिटी एंड अल्ट्रुजर्रा भाव से किया जा रहा है हम मानते हैं कि

00:23:21 लोग दूसरों की मदद सिर्फ इसलिए करते हैं क्योंकि वे अच्छे इंसान हैं और उन्हें दूसरों की परवाह है लेकिन अगर हम गहराई से देखें तो हम पाएंगे कि परोपकार हमेशा निस्वार्थ सेल्फलेस नहीं होता बल्कि इसके पीछे छिपे हुए उद्देश्यों की एक लंबी सूची होती है क्या सच में लोग सिर्फ दयालुता के कारण दूसरों की मदद करते हैं इस सवाल का जवाब उतना सीधा नहीं है जितना दिखता है अध्ययनों से पता चला है कि जब लोग दान करते हैं या परोपकार करते हैं तो इसके पीछे कई छिपे हुए उद्देश्य हो सकते हैं जिनमें शामिल हैं समाज में अच्छी छवि

00:24:01 बनाना लोग तब ज्यादा दान करते हैं जब वे जानते हैं कि दूसरों को उनके दान के बारे में पता चलेगा यही कारण है कि अमीर लोग बड़े-बड़े समारोहों में चैरिटी की घोषणा करते हैं और कंपनियां और समाज में अपनी छवि को बेहतर बनाने के लिए बड़े सामाजिक कार्यों में पैसा लगाती हैं गिल्ट को कम करना कई बार लोग दान इसलिए करते हैं क्योंकि वे अपने अंदर मौजूद अपराध बोध को कम करना चाहते हैं जब हम किसी गरीब को पैसे देते हैं तो हमें लगता है कि हमने अपने विशेषाधिकार प्रिविलेज को सही ठहराया और समाज में अपना योगदान दिया सोशल अप्रूवल पाना जब लोग दूसरों को बताते हैं

00:24:44 कि वे दान कर रहे हैं तो इसका एक कारण यह भी होता है कि उन्हें दूसरों की सराहना मिले यही कारण है कि सोशल मीडिया पर बहुत से लोग अपने परोपकारी कार्यों को दिखाने के लिए पोस्ट डालते हैं पावर और नियंत्रण कभी-कभी लोग दान इसलिए करते हैं ताकि वे अपनी ताकत दिखा सकें और समाज में अपनी स्थिति को मजबूत कर सके बड़े उद्योगपति राजनीतिक नेता और प्रसिद्ध हस्तियां अक्सर परोपकार के माध्यम से अपनी शक्ति को बढ़ाने का प्रयास करते हैं क्या परोपकार पूरी तरह से गलत है यह कहना गलत होगा कि परोपकार में कुछ भी अच्छा नहीं है आखिरकार

00:25:25 किसी की मदद करना एक अच्छा कार्य है भले ही इसके पीछे कोई भी उद्देश्य हो अगर किसी की भूख मिटती है किसी गरीब को शिक्षा मिलती है या कोई बीमार व्यक्ति इलाज पाता है तो इससे समाज को लाभ होता है लेकिन सवाल यह है कि हम परोपकार को एक वास्तविक प्रभावी और ईमानदार तरीके से कैसे कर सकते हैं अगर हम सच में दुनिया में बदलाव लाना चाहते हैं और लोगों की मदद करना चाहते हैं तो हमें अपनी नियत और कार्यों पर गहराई से सोचने की जरूरत है गुप्त रूप से दान करें गिव एनोनिमस अगर आपका उद्देश्य सच में मदद करना है तो कोशिश करें कि आपका दान दूसरों

00:26:08 को ना दिखे जब आप गुप्त रूप से दान करते हैं तो आप सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपका उद्देश्य सिर्फ सहायता करना है ना कि दूसरों की सराहना पाना लॉन्ग टर्म बदलाव पर ध्यान दें तत्काल सहायता देना अच्छा है लेकिन अगर आप सच में फर्क डालना चाहते हैं तो उन तरीकों पर ध्यान दें जो लोगों की जिंदगी को स्थाई रूप से सुधार सके उदाहरण के लिए किसी गरीब को सिर्फ पैसा देने की बजाय उसे आत्मनिर्भर बनाने के लिए शिक्षा या रोजगार के अवसर देना अधिक प्रभावी हो सकता है स्वयं सेवा वॉलंटरी करें पैसे दान करने से आसान कुछ नहीं है लेकिन अगर आप सच

00:26:50 में मदद करना चाहते हैं तो अपना समय और ऊर्जा किसी अच्छे कार्य में लगाएं जब आप स्वयं सेवा करते हैं तो आप सीधे लो लोगों से जुड़ते हैं और उनकी वास्तविक जरूरतों को समझ पाते हैं अपनी नियत पर सवाल करें जब भी आप परोपकार करें खुद से पूछें क्या मैं यह सिर्फ अपनी छवि सुधारने के लिए कर रहा हूं या मुझे सच में इससे फर्क पड़ता है अगर हम अपने अंदर की सच्चाई को पहचान ले तो हम अधिक ईमानदारी से समाज की मदद कर सकते हैं लोगों को आत्मनिर्भर बनाने पर ध्यान दें अगर आप किसी को बार-बार पैसे देते हैं तो वह आप पर निर्भर हो सकता है

00:27:31 इसके बजाय ऐसे अवसरों को बढ़ावा दें जिससे लोग खुद अपनी जिंदगी सुधार सके जैसा कि एक प्रसिद्ध कहावत है किसी को मछली मत दो बल्कि उसे मछली पकड़ना सिखाओ परोपकार और दान अक्सर निस्वार्थ नहीं होते इसके पीछे समाज में अच्छी छवि बनाना गिल्ट कम करना सामाजिक स्वीकृति प्राप्त करना और प्रभाव बढ़ाने जैसी छिपी हुई मंशा एं हो सकती हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि परोपकार गलत है जरूरत इस बात की है कि हम इसे सही तरीके से करें अगर हम सच में बदलाव लाना चाहते हैं तो हमें छवि सुधारने के लिए नहीं बल्कि वास्तविक प्रभाव के लिए दान और

00:28:13 परोपकार करना चाहिए तो अगली बार जब आप किसी की मदद करें तो खुद से यह सवाल पूछे क्या मैं यह दूसरों को दिखाने के लिए कर रहा हूं या मुझे सच में फर्क पड़ता है अगर आपका उत्तर सच में मदद कर करने का है तो आप ना केवल दूसरों की जिंदगी बदलेंगे बल्कि अपनी आत्मा में भी सच्ची शांति और खुशी महसूस करेंगे चैप्टर फाइव मेडिसिन एंड द इल्यूजन ऑफ केयर जब भी हमें कोई स्वास्थ्य समस्या होती है हम डॉक्टर के पास जाते हैं दवाएं लेते हैं और यह महसूस करते हैं कि हमने अपनी सेहत का सही ख्याल रखा लेकिन क्या यह पूरी सच्चाई है क्या हम सच में सिर्फ

00:28:55 इसलिए इलाज कराते हैं क्योंकि हमें इसकी जरूर होती है या इसके पीछे कोई छिपी हुई मंशा भी होती है हकीकत यह है कि हम चिकित्सा मेडिसिन की ओर केवल स्वास्थ्य लाभ के लिए नहीं बल्कि सामाजिक और मानसिक संतुष्टि सोशल रिसोर के लिए भी आकर्षित होते हैं हम सिर्फ स्वस्थ होने के लिए डॉक्टर के पास नहीं जाते बल्कि इसलिए भी कि हमें मानसिक शांति मिले हमारा परिवार चिंतित ना हो और हमें लगे कि हम अपनी सेहत का ध्यान रख रहे कई बार हम बिना जरूरत के टेस्ट करवाते हैं अतिरिक्त दवाएं लेते हैं और डॉक्टर की सलाह के बिना भी चिकित्सा प्रक्रिया को

00:29:37 अपनाते हैं सिर्फ इसलिए कि हमें लगता है कि कुछ ना करने से बेहतर है कुछ करना अगर हम गौर करें तो पाएंगे कि चिकित्सा केवल शरीर को ठीक करने का माध्यम नहीं बल्कि एक सामाजिक और मनोवैज्ञानिक खेल भी है कुछ उदाहरण देखें कुछ करने की आवश्यकता महसूस करना जब हम बीमार बर होते हैं तो हमें ऐसा लगता है कि हमें कुछ ना कुछ करना चाहिए सिर्फ आराम करने और शरीर को खुद ठीक होने देने की बजाय हम डॉक्टर के पास जाना और दवाएं लेना पसंद करते हैं भले ही यह जरूरी ना हो इससे हमें ऐसा महसूस होता है कि हम नियंत्रण में हैं सामाजिक स्वीकृति और

00:30:19 देखभाल प्राप्त करना कई बार हम डॉक्टर के पास इसलिए भी जाते हैं ताकि हमें परिवार दोस्त और समाज से सहानुभूति सिंपैथी और देखभाल मिले जब हम बीमार होते हैं तो लोग हमारी चिंता करते हैं हमारा ख्याल रखते हैं और हमें विशेष महत्व मिलता है यह भावना हमें अच्छा महसूस कराती है बिना जरूरत के टेस्ट और उपचार आजकल लोग अपनी छोटी-छोटी समस्याओं के लिए व भी बड़े मेडिकल टेस्ट करवाते हैं सिर्फ इसलिए कि उन्हें लगता है कि इससे उन्हें अपनी सेहत पर ज्यादा नियंत्रण मिलेगा कई बार डॉक्टर भी अनावश्यक टेस्ट लिख देते हैं क्योंकि

00:31:00 यह एक उद्योग बन चुका है ब्रांडेड दवाओं और महंगे इलाज का आकर्षण कभी-कभी लोग महंगे इलाज और ब्रांडेड दवाओं को प्राथमिकता देते हैं यह सोचकर कि महंगी चीजें ज्यादा असरदार होती हैं लेकिन सच्चाई यह है कि कई बार सस्ती दवाएं भी उतनी ही प्रभावी होती हैं क्या अधिक चिकित्सा वास्तव में अच्छा है हम सोचते हैं कि जितना ज्यादा इलाज करवाएंगे उतना ही ज्यादा स्वस्थ रहेंगे लेकिन सच्चाई यह है कि अधिक दवाएं अनावश्यक सर्जरी और बार-बार अस्पताल जाने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है कई मामलों में शरीर खुद को ठीक करने में

00:31:40 सक्षम होता है और बहुत ज्यादा हस्तक्षेप इंटरवेंशन करने से प्राकृतिक प्रक्रिया बाधित हो सकती है आज की आधुनिक दुनिया में कई बीमारियां जीवन शैली लाइफ स्टाइल से जुड़ी होती हैं जैसे मोटापा उच्च रक्तचाप मधुमेह तनाव आदि इनका असली समाधान सिर्फ दवाएं नहीं है बल्कि सही खानपान व्यायाम और मानसिक शांति है लेकिन फिर भी लोग दवा लेना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि यह आसान है और इसके लिए हमें अपनी आदतें बदलने की जरूरत नहीं पड़ती अगर हम सच में स्वस्थ रहना चाहते हैं तो हमें चिकित्सा पर निर्भर रहने के बजाय स्वास्थ्य की असली

00:32:20 जिम्मेदारी खुद लेनी होगी रोग से बचाव प्रिवेंशन पर ध्यान दें ना कि सिर्फ इलाज पर सबसे अच्छा इलाज यह है कि हमें बीमारी ही ना हो इसका मतलब है कि हमें अपनी दिनचर्या को सुधारना होगा सही भोजन करना होगा नियमित व्यायाम करना होगा और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना होगा स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं दवा लेने की बजाय कोशिश करें कि आप प्राकृतिक रूप से अपनी सेहत का ध्यान रखें योग ध्यान व्यायाम और अच्छी नींद आपकी सेहत को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं बिना जरूरत डॉक्टर के पास जाने से बचे डॉक्टर की सलाह जरूरी होती है लेकिन अगर

00:33:02 आपकी समस्या हल्की है और आपका शरीर उसे खुद ठीक कर सकता है तो आराम करने और प्राकृतिक उपाय अपनाने का विकल्प भी देखें मेडिकल इंडस्ट्री को समझे आज चिकित्त्सा सिर्फ सेवा नहीं बल्कि एक बड़ा उद्योग बन चुका है कई बार टेस्ट दवाएं और इलाज मुनाफे के लिए बेवजह बढ़ा चढ़ाकर पेश किए जाते हैं हमें समझदारी से फैसला लेना चाहिए कि कब हमें सच में चिकित्सा की जरूरत है और कब यह सिर्फ एक भ्रम है मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें शरीर की बीमारी का एक बड़ा कारण मानसिक तनाव भी होता है अगर हम मानसिक रूप से शांत और खुशहाल हैं तो हमारा शरीर भी अधिक स्वस्थ

00:33:44 रहेगा हम चिकित्सा और इलाज की ओर सिर्फ स्वास्थ्य के लिए नहीं बल्कि मानसिक और सामाजिक संतुष्टि के लिए भी आकर्षित होते हैं कई बार हम बिना जरूरत के डॉक्टर के पास जाते हैं अनावश्यक टेस्ट करवाते हैं और दवाओं पर निर्भर रहते हैं जबकि असली समाधान हमारे जीवन शैली में बदलाव करने में है अगर हम सच में स्वस्थ रहना चाहते हैं तो हमें दवाओं पर निर्भर होने के बजाय अपने शरीर की देखभाल खुद करनी होगी तो अगली बार जब आप बीमार महसूस करें तो खुद से यह सवाल पूछें क्या मुझे सच में इलाज की जरूरत है या मैं सिर्फ मानसिक शांति और

00:34:25 सामाजिक स्वीकृति पाने के लिए ऐसा कर रहा हूं जब आप अपनी सेहत की असली जिम्मेदारी खुद लेने लगेंगे तो आप दवाओं पर कम और एक स्वस्थ जीवन शैली पर ज्यादा निर्भर होने लगेंगे और यही सच्ची सेहत की कुंजी है चैप्टर सिक्स पॉलिटिक्स मोर अबाउट टीम लॉयल्टी देन पॉलिसी जब हम राजनीति की बात करते हैं तो हम अक्सर सोचते हैं कि यह नीति पॉलिसी विचारधारा आइडियो जीी और देश की भलाई के बारे में है हम मानते हैं कि लोग राजनीतिक दल पार्टी या विचारधारा का समर्थन इसलिए करते हैं क्योंकि वे सच में मानते हैं कि यह सबसे अच्छा विकल्प है

00:35:07 लेकिन क्या यह पूरी सच्चाई है क्या राजनीति सच में विचारों और नीतियों की लड़ाई है या इसके पीछे कोई छिपी हुई मनोवैज्ञानिक और सामाजिक सच्चाई है अगर हम गहराई से देखें तो राजनीति केवल विचारों और नीतियों के बारे में नहीं है बल्कि यह समूह पहचान ग्रुप आइडेंटिटी और टीम की वफादारी टीम लॉयल्टी के बारे में ज्यादा है जब लोग किसी पार्टी या विचारधारा का समर्थन करते हैं तो वे अक्सर एक तर्क संगत रैशनल विश्लेषण करने के बजाय अपनी टीम का बचाव कर रहे होते हैं ठीक वैसे ही जैसे खेल के प्रशंसक अपनी पसंदीदा टीम का समर्थन करते हैं भले ही वह मैच हार जाए

00:35:49 राजनीति में समूह पहचान और वफादारी कैसे काम करती है अगर आप ध्यान दें तो राजनीति अक्सर खेल या धर्म की तरह व्यवहार करती है यह लोगों के लिए उनकी पहचान आइडेंटिटी और सामाजिक संबंधों का हिस्सा बन जाती है जब कोई व्यक्ति किसी राजनीतिक दल या विचारधारा से जुड़ता है तो यह सिर्फ एक राय ओपिनियन नहीं होती बल्कि यह उसकी पहचान आइडेंटिटी का हिस्सा बन जाती है हम बनाम वे मानसिकता लोग अपनी पार्टी या विचारधारा को सही मानते हैं और विरोधी को गलत वे अपने नेताओं की गलतियों को नजरअंदाज कर सकते हैं लेकिन विरोधी दल की छोटी-छोटी गलतियों पर भी गुस्सा जताते हैं

00:36:32 भावनाओं का तर्क पर हावी होना लोग राजनीति में तर्क संगत विश्लेषण से ज्यादा भावनात्मक रूप से प्रतिक्रिया देते हैं वे तथ्यों से ज्यादा अपने समूह की मान्यताओं को प्राथमिकता देते हैं जानकारी को तोड़ मरोड़ कर देखना लोग वही खबरें और तथ्य स्वीकार करना पसंद करते हैं जो उनकी मौजूदा मान्यताओं बिलीव्स का समर्थन करते हैं अगर कोई खबर उनकी पार्टी के खिलाफ जाती है तो वे उसे झूठ या प्रोपेगेंडा कह देते हैं राजनीति फ्रा सामाजिक पहचान जब लोग किसी राजनीतिक दल का समर्थन करते हैं तो वे केवल उसकी नीतियों का समर्थन नहीं

00:37:13 कर रहे होते बल्कि वे यह भी दिखा रहे होते हैं कि वे किस प्रकार के व्यक्ति हैं और उन्हें किस समूह से जुड़ा हुआ महसूस होता है आपने शायद देखा होगा कि लोग अक्सर अपनी पसंदीदा पार्टी या नेता की नीतियों का का आंख बंद करके समर्थन करते हैं भले ही वे उनके अपने हितों के खिलाफ हो कई बार वही व्यक्ति जो एक नीति का विरोध करता था वही नीति अगर उसकी पसंदीदा पार्टी लागू करें तो वह उसे सही मानने लगता है यह दिखाता है कि अधिकतर लोग वास्तव में नीतियों पॉलिसीज से ज्यादा अपनी टीम ग्रुप के प्रति वफादार होते हैं राजनीति इसीलिए इतनी भावनात्मक

00:37:54 होती है क्योंकि यह हमारे अस्तित्व सर्वाइवल और सामाजिक स्थिति सोशल स्टैंडिंग से जुड़ी होती है हजारों साल पहले जब इंसान छोटे-छोटे जनजातीय समूहों ट्राइब्स में रहता था तब समूह से बाहर होना जीवन के लिए खतरा था इसीलिए हमारा मस्तिष्क इस तरह विकसित हुआ है कि हम अपने समूह के प्रति वफादार बने रहे और विरोधी समूह को खतरे की तरह देखें अब सवाल यह है कि हम इस आदतन समूह वफादारी ट्राइबल जम से कैसे बच सकते हैं और राजनीति को एक खुले दिमाग से कैसे देख सकते हैं तथ्यों को प्राथमिकता दें ना कि भावनाओं को जब भी कोई राजनीतिक मुद्दा

00:38:37 सामने आए तो इसे केवल भावनाओं के आधार पर ना देखें निष्पक्ष रूप से तथ्यों को जांचे और अपने मौजूदा विश्वासों को चुनौती देने से डरे नहीं दोनों पक्षों की बात सुने एक ही मुद्दे पर विभिन्न स्रोतों से जानकारी ले सिर्फ उन्हीं समाचारों और लेखों को ना पढ़े जो आपकी राय की पुष्टि करते हैं बल्कि उनके विपरीत विचारों को भी समझे मैं गलत हो सकता हूं मानसिकता अपनाए यह स्वीकार करना सीखें कि आप भी गलत हो सकते हैं अपनी विचारधारा को किसी टीम की तरह मत अपनाए बल्कि हमेशा खुद से सवाल पूछिए क्या सच में यही सही है राजनीति को

00:39:19 अपनी पहचान मत बनने दें याद रखें कि आप सिर्फ एक राजनीतिक विचारधारा से ज्यादा हैं आपकी पहचान आपकी सोच आपके मूल्य और आपके कार्यों से बनती है ना कि किसी राजनीतिक पार्टी से अपनी राय को अपडेट करें अगर नए तथ्य सामने आते हैं तो अपनी राय बदलने में संकोच ना करें एक बुद्धिमान व्यक्ति वही होता है जो नए ज्ञान के आधार पर अपने विचारों को सुधारने के लिए तैयार हो लोकतंत्र का सम्मान करें हर व्यक्ति की अपनी सोच होती है और जरूरी नहीं कि अगर कोई आपसे सहमत नहीं है तो वह गलत ही हो स्वस्थ लोकतंत्र में विभिन्न विचारों का

00:39:59 सम्मान करना बहुत जरूरी है राजनीति केवल नीतियों और विचारों की लड़ाई नहीं है यह एक सामाजिक खेल भी है जहां लोग अपनी पहचान और टीम की वफादारी को बचाने की कोशिश करते हैं कई बार लोग अपनी पार्टी का समर्थन केवल इसलिए करते हैं क्योंकि वे उससे भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं ना कि इसलिए कि उनकी नीतियां सच में बेहतर हैं अगर हम सच में एक समझदार नागरिक बनना चाह हैं तो हमें स्वतंत्र सोच विकसित करनी होगी तथ्यों को प्राथमिकता देनी होगी और राजनीति को सिर्फ एक टीम खेल की तरह देखने से बचना होगा तो अगली बार जब आप किसी

00:40:41 राजनीतिक बहस में पड़े तो खुद से यह सवाल पूछे क्या मैं सच में तथ्यों पर भरोसा कर रहा हूं या सिर्फ अपनी टीम का समर्थन करने के लिए बहस कर रहा हूं जब आप स्वतंत्र सोचने लगेंगे तो आप सच्चे लोकतांत्रिक और बुद्धिमान बन पाएंगे चैप्टर सेवन बिकमिंग सेल्फ अवेयर एंड ऑनेस्ट हम सभी खुद को एक अच्छा इंसान मानते हैं हम सोचते हैं कि हमारे फैसले पूरी तरह तार्किक रैशनल होते हैं हमारी भावनाएं शुद्ध होती हैं और हम वही करते हैं जो सही है लेकिन क्या यह सच है अगर हम अपने भीतर झांके तो हमें एहसास होगा कि हमारी बहुत सी इच्छाएं फैसले और कार्य

00:41:25 छिपे हुए उद्देश्यों हिडन मोटिव्स से प्रभावित होते हैं हम अक्सर खुद से भी सच्चाई छुपाते हैं यह मानने से बचते हैं कि हमारे कार्यों के पीछे स्वार्थ सामाजिक दबाव या अहंकार हो सकता है लेकिन यहां एक रहस्य छिपा है अगर हम सच में अपने छिपे हुए उद्देश्यों को पहचान ले और खुद से ईमानदार हो जाए तो हम एक अधिक स्वतंत्र संतुलित और खुशहाल जीवन जी सकते हैं आत्म जागरूकता सेल्फ अवेयरनेस हमें ना केवल ख खुद को बेहतर समझने में मदद करती है बल्कि यह हमारे रिश्तों करियर और निर्णय लेने की क्षमता को भी सुधार है कैसे पहचाने कि हमारे अंदर छिपी हुई

00:42:08 इच्छाएं काम कर रही हैं आत्म जागरूकता विकसित करने का पहला कदम यह पहचानना है कि हमारे भीतर कौन से छिपे हुए उद्देश्य काम कर रहे हैं इसके लिए हमें कुछ संकेतों को समझने की जरूरत है क्या मैं सिर्फ अच्छा दिखने के लिए यह कर रहा हूं कई बार हम कोई काम इसलिए करते हैं ताकि लोग हमें अच्छा बुद्धिमान दयालु या प्रभावशाली समझे खुद से पूछें अगर कोई मुझे ना देख रहा हो तो क्या मैं फिर भी यही करूंगा क्या मैं अपनी गलतियों को नजरअंदाज कर रहा हूं जब कोई हमें हमारी गलतियों के बारे में बताता है तो हम अक्सर बचाव की मुद्रा

00:42:49 में आ जाते हैं खुद से यह सवाल पूछें क्या मैं सच में सही हूं या मैं बस अपनी गलती मानने से बच रहा हूं क्या मैं सिर्फ अपनी टीम या विचारधारा का समर्थन कर रहा हूं जब हम किसी मुद्दे पर बहस करते हैं तो क्या हम सच में निष्पक्ष रूप से सोच रहे हैं या बस अपनी पार्टी धर्म या विचारधारा का बचाव कर रहे हैं क्या मैं अपने फायदे के लिए यह कर रहा हूं कई बार हम दूसरों की मदद इस उम्मीद से करते हैं कि वे भी हमें वापस कुछ देंगे यह पहचानना जरूरी है कि हमारी मदद सच में निस्वार्थ है या नहीं क्या मैं बहाने बना रहा हूं जब हम कोई

00:43:31 बड़ा फैसला लेते हैं तो क्या हम सच में वही कर रहे होते हैं जो हमारे लिए सही है या हम सिर्फ अपने डर और आलस्य को छिपाने के लिए बहाने बना रहे हैं जब हम अपनी छिपी हुई इच्छाओं को पहचान लेते हैं और उनसे ईमानदार होने की हिम्मत रखते हैं तो इसका हमारी जिंदगी पर गहरा प्रभाव पड़ता है बेहतर फैसले लेना आसान हो जाता है जब हम अपनी असली भावनाओं और इच्छाओं को पहचान लेते हैं तो हम सही चुनाव कर सकते हैं हमें पता चलता है कि हमें क्या सच में चाहिए और क्या सिर्फ समाज की अपेक्षाओं के कारण हम पर थोपा गया है रिश्ते अधिक मजबूत

00:44:11 और सच्चे बनते हैं जब हम खुद से ईमानदार हो जाते हैं तो हम दूसरों के साथ भी ज्यादा खुले और ईमानदार हो सकते हैं हम दिखावे के बजाय गहरे और वास्तविक संबंध बना सकते हैं हम अनावश्यक तनाव से बच सकते हैं जब हम अपने छिपे हुए उद्देश्यों को पहचान लेते हैं तो हम खुद से ज्यादा संतुष्ट महसूस करते हैं हमें अपने निर्णयों पर संदेह नहीं होता और हम कम अपराध बोध महसूस करते हैं हम अपने जीवन पर नियंत्रण महसूस करते हैं आत्म जागरूकता हमें यह समझने की शक्ति देती है कि हमारे जीवन के निर्णय हमारे हाथ में हैं ना कि परिस्थितियों या

00:44:52 दूसरों के विचारों के अधीन कैसे बने अधिक आत्म जागरूक और ईमानदार आत्म जागरूकता विकसित करने के लिए कुछ सरल लेकिन प्रभावी रणनीतियां में अपनाई जा सकती हैं अपने विचारों और भावनाओं का विश्लेषण करें जब भी आप कोई महत्त्वपूर्ण निर्णय ले तो खुद से यह पूछे कि इसके पीछे आपका असली उद्देश्य क्या है क्या आप इसे सच में चाहते हैं या यह समाज परिवार या दोस्तों की अपेक्षाओं के कारण है अपने कार्यों को जर्नल जर्नल में लिखें अगर आप अपनी भावना और विचारों को लिखेंगे तो आप उन्हें ज्यादा स्पष्ट रूप से देख पाएंगे इससे आपको अपने छिपे हुए उद्देश्यों को

00:45:35 पहचानने में मदद मिलेगी अपनी गलतियों को स्वीकार करें जब भी आपको लगे कि आप बचाव की मुद्रा में आ रहे हैं तो रुके और सोचे क्या मैं सच में सही हूं या मैं अपनी गलती मानने से डर रहा हूं गलतियां स्वीकार करने से हम ज्यादा आत्म जागरूक और परिपक्व बनते हैं निष्पक्ष रूप से सोच और विभिन्न दृष्टिकोण को समझे अगर आप सिर्फ उन्हीं विचारों को सुनते हैं जो आपकी सोच से मेल खाते हैं तो आप कभी भी खुद को चुनौती नहीं देंगे हमेशा कोशिश करें कि आप विपरीत दृष्टिकोण को भी समझे और निष्पक्ष रूप से सोचे मेडिटेशन और आत्म निरीक्षण करें ध्यान मेडिटेशन और आत्म

00:46:19 विश्लेषण हमें अपने दिमाग को शांत करने और अपने विचारों को गहराई से समझने में मदद करता है यह हमें अधिक ईमानदार और स्पष्ट सोचने वाला इंसान बनाता है आत्म जागरूकता सेल्फ अवेयरनेस हमें यह समझने में मदद करती है कि हमारे निर्णय भावनाएं और कार्य केवल तर्क पर आधारित नहीं होते बल्कि कई बार हमारे छिपे हुए उद्देश्यों हिडन मोटिव से भी प्रभावित होते हैं जब हम सच में खुद को पहचानते हैं तो हम बेहतर फैसले ले सकते हैं अधिक सच्चे रिश्ते बना सकते हैं और एक संतुलित खुशहाल जीवन जी सकते हैं तो अगली बार जब आप कोई निर्णय ले तो खुद से यह

00:47:00 सवाल पूछें क्या मैं यह सच में अपने लिए कर रहा हूं या इसके पीछे कोई और छिपी हुई मंशा है जब आप यह सवाल खुद से बार-बार पूछेंगे तो आप पहले से कहीं ज्यादा आत्म जागरूक स्वतंत्र और ईमानदार इंसान बन जाएंगे चैप्टर 8 रीडिफाइनिंग सक्सेस एंड मोटिवेशन हम सभी सफलता सक्सेस की तलाश में हैं हम चाहते हैं कि हमारे जीवन में कुछ बड़ा हासिल हो हम सम्मानित महसूस करें और लोग हमें सराहे लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि हम जिस सफलता का पीछा कर रहे हैं वह वास्तव में हमारी अपनी परिभाषा है या यह समाज द्वारा तय की गई है अक्सर हम बिना सोचे

00:47:44 समझे उन्हीं चीजों को लक्ष्य बना लेते हैं जिन्हें समाज मूल्यवान मानता है जैसे बड़ी नौकरी महंगी गाड़ी बड़ा घर प्रसिद्ध और बाहरी पहचान लेकिन जब हम इन चीजों को पाकर भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं होते तो हमें एहसास होता है कि हमने सफलता की गलत परिभाषा अपना ली थी सच्ची सफलता क्या है सच्ची सफलता वही है जो हमारी असली इच्छाओं और मूल्यों वैल्यूज के अनुरूप हो ना कि सिर्फ समाज की अपेक्षाओं पर आधारित हो जब हम अपने वास्तविक उद्देश्य को समझकर अपने लक्ष्य तय करते हैं तो हमें ना केवल बाहरी उपलब्धिया मिलती हैं बल्कि आंतरिक संतोष

00:48:25 और खुशी भी मिलती है हम अपने असली मूल्यों के अनुसार लक्ष्य कैसे तय करें अगर हम सच में सफल होना चाहते हैं तो हमें अपने लक्ष्यों को सामाजिक मान्यता सोशल अप्रूवल से मुक्त करना होगा और उन्हें अपनी असली प्राथमिकताओं के अनुसार तय करना होगा इसके लिए कुछ महत्त्वपूर्ण कदम है अपने असली मूल्यों को पहचाने सबसे पहले खुद से यह सवाल करें मुझे किस चीज में सच में आनंद आता है मैं क्या करना चाहता हूं भले ही उसके लिए मुझे कोई पुरस्कार ना मिले मेरी जिंदगी में सबसे महत्त्वपूर्ण चीज क्या है रचनात्मकता स्वतंत्रता परिवार आत्म विकास

00:49:07 या कुछ और जब आप अपने सच्चे मूल्यों को पहचान लेते हैं तो आप ऐसे लक्ष्य तय कर सकते हैं जो वास्तव में आपको संतुष्टि देंगे लक्ष्य तय करते समय क्यों पर ध्यान दें जब भी आप कोई नया लक्ष्य बनाएं खुद से पूछें क्या मैं यह इसलिए कर रहा हूं क्योंकि मैं इसे सच में चाहता या सिर्फ इसलिए कि समाज इसे महत्त्वपूर्ण मानता है अगर आपका जवाब समाज की अपेक्षाओं से ज्यादा आपके अपने मूल्यों पर आधारित है तो आप सही रास्ते पर हैं बाहरी मान्यता एक्सटर्नल वैलिडेशन के मुंह से बचे समाज से सराहना मिलना अच्छा लगता है लेकिन अगर आपकी सफलता पूरी तरह बाहरी मान्यता पर

00:49:50 निर्भर है तो आप कभी संतुष्ट नहीं होंगे आत्म सम्मान सेल्फ वर्थ को दूसरों के राय पर निर्भर ना करें अपनी यात्रा का आनंद ले ना कि सिर्फ परिणाम का अगर आपकी खुशी सिर्फ अंतिम लक्ष्य गोल पर टिकी है तो आप हमेशा अधूरे पन का अनुभव करेंगे सफलता का असली रहस्य यह है कि आप अपनी यात्रा प्रोसेस का आनंद ले और हर छोटे कदम को महत्व दें अपने खुद के मानक बनाए यह मत सोचे कि सफलता का पैमाना केवल पैसा प्रसिद्ध या सामाजिक स्थिति है अगर आपके लिए सलता का मतलब मानसिक शांति आत्म विकास या किसी नेक कार्य में योगदान देना है तो

00:50:32 वही आपकी सच्ची सफलता है हम अक्सर इस डर से कोई अलग कदम नहीं उठाते कि लोग क्या कहेंगे लेकिन अगर हम सच्चे संतोष की तलाश में हैं तो हमें इस मानसिकता को बदलना होगा दूसरों की राय को जरूरत से ज्यादा अहमियत देना बंद करें हर किसी की एक अलग सोच होती है और आप हर किसी को खुश नहीं कर सकते इसलिए खुद को को उन चीजों पर केंद्रित करें जो आपको अंदर से खुशी देती हैं छोटी-छोटी उपलब्धियों का जश्न मनाएं जब हम अपने लक्ष्य को छोटे हिस्सों में बांटकर हर छोटे प्रयास की सराहना करते हैं तो हमें बाहरी मान्यता की कम जरूरत महसूस होती है सोशल मीडिया और तुलना के

00:51:17 जाल से बचे आज के समय में सोशल मीडिया पर लोग सिर्फ अपनी जिंदगी के सबसे अच्छे पल दिखाते हैं इससे हमें लगता है कि शायद हमारी जिंदगी में कुछ कमी है लेकिन यह याद रखें कि हर किसी की जिंदगी में संघर्ष होते हैं जो दिखाई नहीं देते अपनी यात्रा को दूसरों से तुलना करने के बजाय खुद के विकास पर ध्यान दें आत्म मूल्य सेल्फ वर्थ को बाहरी चीजों से मत जोड़े आपका आत्म मूल्य इस बात पर निर्भर नहीं करता कि आपके पास कितना पैसा है कितनी प्रसिद्ध है या लोग आपको कितना पसंद करते हैं यह इस पर निर्भर करता है कि आप खुद को कितना

00:51:59 स्वीकार करते हैं और अपने असली मूल्यों के साथ कितना ईमानदार हैं अगर हम अपने लक्ष्यों को सच्चे मूल्यों पर आधारित कर ले तो हमें केवल बाहरी उपलब्धियों से खुशी पाने की जरूरत नहीं पड़ेगी हमें यह समझने की जरूरत है कि सफलता सिर्फ बाहरी चीजों से नहीं बल्कि आंतरिक संतोष और व्यक्तिगत विकास से मिलती है ध्यान दें कि आप हर दिन कैसे आगे बढ़ रहे हैं ना कि सिर्फ अंतिम मंजिल पर अगर आप हर दिन कुछ नया सीख रहे हैं खुद में सुधार कर रहे हैं और अपने असली मूल्यों के अनुसार जीवन जी रहे हैं तो आप पहले से ही सफल हैं सफलता को व्यापक

00:52:40 रूप से परिभाषित करें सफलता सिर्फ करियर में ऊंचाइयों तक पहुंचने का नाम नहीं है अगर आप मानसिक रूप से मजबूत हैं अगर आपके रिश्ते अच्छे हैं अगर आप खुश हैं और अगर आप समाज में कोई सकारात्मक योगदान दे रहे हैं तो आप पहले से सफल है अपनी खुशी को अपने नियंत्रण में रखें अगर आपकी खुशी इस बात पर निर्भर करती है कि लोग आपको कितना पसंद करते हैं या आपके बारे में क्या सोचते हैं तो आप हमेशा असंतुष्ट रहेंगे लेकिन अगर आपकी खुशी इस बात पर निर्भर करती है कि आप खुद को कितना पसंद करते हैं और अपने मूल्यों के अनुसार कितना जीते हैं

00:53:21 तो आप सच्चे अर्थों में स्वतंत्र हो जाएंगे सफलता सिर्फ बाहरी उपलब्धियों और समाज की मान्यता पर निर्भर नहीं होनी चाहिए सच्ची सफलता वही है जो हमारे वास्तविक मूल्यों और आंतरिक खुशी के अनुरूप हो हमें अपने लक्ष्यों को बाहरी मान्यता के बजाय अपने असली उद्देश्यों और प्राथमिकताओं के अनुसार तय करना चाहिए तो अगली बार जब आप कोई लक्ष्य बनाएं तो खुद से यह सवाल पूछें क्या यह सच में मेरा सपना है या बस समाज की अपेक्षाएं जब आप अपने सच्चे मूल्यों के अनुसार जीना शुरू करेंगे तो ना केवल आप सफल महसूस करेंगे बल्कि अंदर से संतुष्ट और खुश भी

00:54:00 रहेंगे चैप्टर नाइन लिविंग ऑथेंटिकली इन अ वर्ल्ड ऑफ हिडन मोटिव्स हम सभी एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां हर कोई किसी ना किसी रूप में सामाजिक खेल सोशल गेम्स खेल रहा होता है लोग दिखावे के लिए अच्छे काम करते हैं अपनी छवि सुधारने के लिए दान देते हैं या सिर्फ प्रसिद्धि पाने के लिए अपनी सफलता का प्रदर्शन करते हैं हम में से ज्यादातर लोग यह समझे बिना ही इन सामाजिक खेलों का हिस्सा बन जाते हैं लेकिन अगर हम सच में संतोष जनक और सार्थक मीनिंगफुल जीवन जीना चाहते हैं तो हमें इन छिपे हुए उद्देश्यों को पहचानना होगा और उनके प्रभाव से खुद को

00:54:43 मुक्त करना होगा क्या वास्तव में खुद के प्रति ईमानदार रहना संभव है हां लेकिन इसके लिए हमें स्वार्थ और ईमानदारी सेल्फ इंटरेस्ट वर्स इंटीग्रिटी के बीच सही संतुलन बनाना होगा हमें यह समझना होगा कि खुद के फायदे के बारे में सोचना गलत नहीं है लेकिन अगर यह दूसरों को धोखा देने झूठी छवि बनाने या समाज के दिखावे में फंसने की वजह से हो तो यह हमारे लिए दीर्घकालिक रूप से हानिकारक हो सकता है हमारा दिमाग स्वाभाविक रूप से स्वार्थी होता है यह हमारे अस्तित्व सर्वाइवल के लिए जरूरी भी है लेकिन अगर हम पूरी तरह से आत्म केंद्रित सेल्फ सेंटर्ड

00:55:25 बन जाए और के केवल अपने फायदे के बारे में सोचे तो हम सच्चे और गहरे रिश्ते नहीं बना पाएंगे इसलिए हमें अपने फायदे और नैतिकता एथिक्स के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत है अपने इरादों को पहचाने जब भी आपको कोई निर्णय ले खुद से पूछें क्या मैं यह इसलिए कर रहा हूं क्योंकि यह सच में मेरे मूल्यों के अनुरूप है या सिर्फ इसलिए कि मैं दूसरों को प्रभावित करना चाहता हूं क्या यह फैसला केवल मेरे लाभ के लिए है या इससे दूसरों को भी फायदा होगा क्या मैं इसे इसलिए कर रहा हूं क्योंकि यह सही है या सिर्फ इसलिए कि यह आसान है अपने

00:56:06 सिद्धांतों से समझौता ना करें हमें यह तय करना होगा कि हम किन चीजों के लिए समझौता कर सकते हैं और किन चीजों के लिए नहीं अगर कोई चीज हमारे मूल्यों के खिलाफ जाती है तो सिर्फ लाभ पाने के लिए उसे अपनाना हमें दीर्घकालिक रूप से संतोष नहीं देगा दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपना अल्पकालिक लाभ के बजाय दीर्घ कालिक संतोष और सफलता पर ध्यान दें बहुत से लोग तेजी से सफलता पाने के लिए अपने नैतिक मूल्यों को त्याग देते हैं लेकिन अंत में वे खुद से ही असंतुष्ट हो जाते हैं दूसरों के नजरिए को समझे लेकिन दिखावे के खेल में ना उलझे यह समझना जरूरी है कि दुनिया में हर

00:56:49 कोई किसी ना किसी रूप में सामाजिक पहचान सोशल आइडेंटिटी बनाए रखने की कोशिश कर रहा है हम दूसरों की भावनाओं और जरूरतों को समझ सकते हैं लेकिन हमें खुद को झूठे दिखावे में नहीं फंसने देना चाहिए अगर हम सिर्फ सामाजिक खेल खेलते रहेंगे तो हम कभी भी वास्तविक संतोष और खुशी प्राप्त नहीं कर पाएंगे हमें एक ऐसा जीवन बनाना होगा जो सिर्फ बाहरी मान्यता एक्सटर्नल वैलिडेशन पर आधारित ना होकर हमारे असली उद्देश्य ट्रू पर्पस के अनुरूप हो अपने असली उद्देश्य को पहचाने क्या ऐसी को को चीज है जिसे करने में मुझे गहरा आनंद मिलता है

00:57:30 भले ही इसके लिए मुझे कोई इनाम ना मिले अगर मुझे समाज की मान्यता अप्रूवल की जरूरत ना होती तो मैं अपनी जिंदगी कैसे जीना चाहता क्या मैं अपने काम को सच में पसंद करता हूं या इसे सिर्फ इसलिए कर रहा हूं क्योंकि यह मुझे प्रतिष्ठा स्टेटस देता है दिखावे के बजाय वास्तविक मूल्य रियल वैल्यू पर ध्यान दें आजकल लोग सोशल मीडिया पर अपने जीवन को बेहतर दिखाने में लगे रहते हैं लेकिन अंदर से वे असंतुष्ट होते हैं हमें दिखावे के बजाय असली मूल्य पर ध्यान देना होगा अपने कौशल को विकसित करना सच्चे रिश्ते बनाना और अपनी क्षमताओं

00:58:11 से दुनिया में कुछ अच्छा योगदान देना अपनी तुलना दूसरों से करना बंद करें हर किसी की यात्रा अलग होती है अगर हम हमेशा दूसरों की सफलता से अपनी तुलना करेंगे तो हम कभी संतुष्ट नहीं रह पाएंगे हमें अपनी प्रगति प्रोग्रेस को खुद के पिछले संस्करण से मापना चाहिए ना कि किसी और से वास्तविक रिश्ते बनाएं अगर हम अपनी पहचान को सिर्फ बाहरी चीजों जैसे पैसा शोहरत या सामाजिक स्थिति पर आधारित करेंगे तो हमारे रिश्ते भी सतही सुपरफिशियल हो जाएंगे सच्ची खुशी उन्हीं रिश्तों से आती है जो ईमानदारी और आपसी सम्मान पर आधारित होते हैं अपने

00:58:51 सिद्धांतों पर टिके रह अगर समाज हमें एक दिशा में धकेल रहा है लेकिन हमें लगता है कि हमारी सच्ची खुशी किसी और चीज में है तो हमें साहस पूर्वक अपने रास्ते पर चलने की जरूरत है हर किसी को खुश करना असंभव है लेकिन खुद से ईमानदार रहना जरूरी है हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां लोग लगातार सामाजिक खेल खेलते रहते हैं अपनी छवि सुधारने के लिए मान्यता पाने के लिए और दूसरों को प्रभावित करने के लिए लेकिन अगर हम सच्चे संतोष और खुशी की तलाश में हैं तो हमें इन सामाजिक खेलों से बाहर निकलकर एक वास्तविक उद्देश्य पूर्ण पर्पस ड्रिवन

00:59:33 जीवन जीना होगा तो अगली बार जब आप कोई बड़ा फैसला ले तो खुद से यह सवाल पूछें क्या मैं यह सिर्फ इसलिए कर रहा हूं क्योंकि समाज इसे महत्त्वपूर्ण मानता है या क्योंकि यह सच में मेरे जीवन का उद्देश्य है जब आप इस प्रश्न का उत्तर ईमानदारी से देने लगेंगे तो आप पहले से कहीं अधिक स्वतंत्र संतुष्ट और खुशहाल महसूस करेंगे तो दोस्तों हमने इस वीडियो में द एलिफेंट इन द ब्रेन किताब का गहराई से विश्लेषण किया इस किताब ने हमें यह समझाया कि हम इंसान अपने दिमाग में छुपे हुए गुप्त उद्देश्यों हिडन मोटिव्स को पहचानने में कितने असफल होते हैं हमारा

01:00:15 दिमाग हमें धोखा देता है ताकि हम खुद को और दूसरों को एक अच्छी कहानी सुना सके हम कई चीजें सिर्फ इसलिए करते हैं क्योंकि हमारा दिमाग असली वजहों को छिपाना चाहता है चाहे शिक्षा हो धर्म हो राजनीति हो या दान पुण्य हमारे असली इरादे अक्सर खुद हमें भी नहीं पता होते तो क्या करें अब सवाल यह उठता है कि इस जानकारी से हमें क्या फायदा इसका जवाब है आत्म जागरूकता सेल्फ अवेयरनेस जब हम अपने छिपे हुए इरादों को पहचानेंगे तब हम बेहतर निर्णय ले पाएंगे और एक जिम्मेदार इंसान बन सकेंगे अगर आपको यह वीडियो पसंद आया हो तो लाइक कर शेयर करें और चैनल को सब्सक्राइब

01:00:59 करना ना भूलें क्या आपको कभी ऐसा महसूस हुआ है कि आपका दिमाग असली वजह छुपा रहा हो कमेंट में अपनी राय बताएं अगली वीडियो में मिलते हैं तब तक के लिए खुद को समझने की इस यात्रा को जारी रखें

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